मालाबार के मुसलमानों अर्थात् मोपला द्वारा हिन्दुओं के रक्त से रंजीत भूमि का ह्रदय विदारक इतिहास न केवल हमारे लहू को उबालने कार्य करेगा बल्कि हमारे पूर्वजों पर मोपलाओं द्वारा किए गए अत्याचार की पोल खोलेगा ।
अक्सर बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा कहा जाता रहा है कि इस्लाम कि दृष्टि में राष्ट्रीयता की भावना ही स्वीकार्य नहीं है । इस्लाम एक पृथक जीवन पदद्ती है जो केवल मक्का और अरब के पैगम्बर रसूल को ही मान्यता देते है, केवल यही उनका धर्म है यही है उनकी राष्ट्रीयता और अन्तराष्ट्रीयता ।
जिस दिन से विश्व में इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ तभी से संसार के रंगमंच पर एक विचित्र उथल-पुथल होती आ रही है । भारत कि प्रत्येक जाति से इस्लाम के अनुयायियों का संघर्ष हुआ । इस्लाम मत के उन्माद को हिन्दुस्तान ने सैकड़ों वर्षों तक झेला है । यह उन्माद जोकि महमूद गजनबी और मोहम्मद गौरी के आक्रमणों के रूप में था, जो औरंगजेब द्वारा निर्दोष हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार के रूप में था, जो खिलजियों और मुगलों की सत्ता में धर्मांतरण के रूप में था या लव जिहाद, जमीनी जिहाद आदि अन्य के रूप में उभरा हो ।
हिन्द महासागर के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट (मालाबार) आदि मलयालम भाषा बहुल किसी समय मद्रास प्रदेश का भाग था लेकिन अब वह केरल का भाग है । इसी क्षेत्र में निवास करने वाले मुस्लिम “मोपला” कहलाते थे । इन्हीं मुसलमानों (मोपला) में से कुछ अरब के सौदागरों के वंशज थे जो कुछ समय पूर्व यहाँ आकर बस गए थे । और अन्य हिन्दू थे । इन्ही अरब के सौदागरों ने हिन्दू समाज में व्याप्त छुआछूत की भावना का लाभ उठाकर लालच, छल और बल से धर्मान्तरित किया था ।
धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर मालाबार में हिन्दूओं का धर्मांतरण किया जा रहा था कि अचानक इस्लामी खलीफा के समर्थन में भारत में भी खिलाफ़त आन्दोलन मुसलमानों द्वारा आरम्भ किया गया । हिन्दुओ का मोपला के साथ एकता का नारा देने वाले और सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता प्राप्ति का सपना दिखाकर इनका बन्द आँखों से समर्थन किया और इस आन्दोलन कि बढ़ती अग्नि को हवा दी । इतना त्याग करने का परिणाम यह हुआ कि देशभर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे । इन दंगों से सबसे अधिक रक्तपात के साथ मालाबार प्रभावित हुआ । उस समय की स्थिति और हिन्दुओ कि वेदना ही इस उपन्यास (मोपला) की पृष्ठभूमि है जिसे महान साहित्यकार, हिन्दू ह्रदय सम्राट वीर सावरकर ने अपनी लेखनी से प्रस्तुत किया है ।
मालाबार में मोपला अर्थात् मुस्लिमों के उपद्रव के समय घटित भयंकर घटनाओं का विवरण ज्यों का त्यों प्रत्येक सोये हुए हिन्दू-मात्र के कानों तक पंहुचाना और उनके घटक कर्म को इनके ह्रदय में बैठना, देशवासीयों के लिए हितकारी है । इसी दृष्टि को मध्येनज़र रखते हुए लेखक द्वारा इस पुस्तक (मोपला) को लिखा गया है ।