जिन राष्ट्र उन्नायक वीर पुरुषों के नाम भारतीय इतिहास में जगमगाते रहेंगे, उनमें छत्रपति शिवाजी महाराज का स्थान किसी से पीछे नहीं है । वे केवल एक राजा ही नहीं बने । उनका स्वधर्म सच्चे क्षत्रिय का था । सत्ता भोग का जीवन उनके पास नहीं फटका तो कारण भी उन्हें अभीष्ट ही न था । इसीलिए उनका जीवन आरम्भ से लेकर अंत तक संघर्षमयी रहा । अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उन्हें अपने लिए कुछ बना बैठने की बात तक नहीं सूझी । लेकिन उनके चरित्र से जिस चैतन्य की सृष्टि हुई, उसने महाराष्ट्र के तेज को ऐसा चमकाया कि समूचा राष्ट्र लगभग एक शताब्दी तक दीप्तिमान रहा ।
प्रस्तुत संकलन उन्हीं शिवाजी के जीवन चरित्र को स्फुट कथा चित्रों में मूर्त करता है ।