यह अकल्पनीय है कि फ्रांस को फ्रांसीसियों का, चीन को चीनियों का या जापान को जापानियों का राष्ट्र कहने पर उनके राष्ट्र में किसी प्रकार का विवाद खड़ा हो, क्योंकि ये इतिहास के द्वारा प्रतिपादित सच्चाईयाँ हैं । तो क्या भारत का इतिहास भारत के सम्बन्ध में ऐसी जानकारी नहीं देता है ? वह तो स्पष्ट घोषणा करता है कि भारत हिन्दू राष्ट्र है, परन्तु इसे कालचक्र की विडम्बना ही कहना पड़ रहा है कि भारत में प्रबुद्ध माने जाने वालों का वर्ग और तथाकथित सेक्युलरवादी राजनेता इस वास्तविकता को उस सहजता के साथ स्वीकार नहीं करते है, जैसा करना चाहिए ।
बहुत से युवा भी है जो वामपंथ /सेक्युलरिजम के जाल में फंसते जा रहे है उन्हें ये तक नहीं पता कि वो जो ये देशविरोधी कर्त्य वो कर रहे है भविष्य में उसके जो भी परिणाम होंगे उनसे उनका भी कोई लाभ नहीं होने वाला । जिनका मानना है कि यह देश हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाइयों का है इसे हिन्दू राष्ट्र घोषित करना हमारे अधिकारों का हनन करना है तो उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढनी चाहिए ।